3 घंटे पहले
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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के सीनियर लीडर भूपति ने सरेंडर कर दिया है। मल्लाजोलु वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति ने अपने 60 कार्यकर्ताओं के साथ 13 और 14 अक्टूबर की रात महाराष्ट्र पुलिस के सामने हथियार डाल दिए। भूपति को 2010 में दंतेवाड़ा में CRPF जवानों पर हुए हमले समेत कई बड़े हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता था। महाराष्ट्र, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में उन पर 7 करोड़ रुपए से ज्यादा का इनाम है।

पिता स्कूल टीचर थे
भूपति का जन्म तेलुगू ब्राह्मण परिवार में हुआ। इन्हें अभय और सोनू दादा के नाम से भी जाना जाता है। भूपति के पिता जी स्कूल टीचर थे। पेड्डापल्ली में स्कूलिंग के बाद उन्होंने करीमनगर के गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज से कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया। इसी दौरान पहले वो रेडिकल स्टूडेंट यूनियन से जुड़े।
कवि वरवरा राव से प्रभावित होकर माओवादी बने
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भूपति इमरजेंसी के दौर में क्रांतिकारी कवि और विचारक वरवरा राव से प्रभावित होकर माओवदियों के गुट में शामिल हुए। फिर 1980 के दशक की शुरुआत में पीपुल्स वार ग्रुप (PWG) से जुड़े।
इसके बाद 21 सितंबर, 2004 को पीपुल्स वार ग्रुप (PWG) और माविस्ट कम्युनिस्ट सेंटर(MCC) के विलय के साथ एक नए संगठन का गठन किया गया। संगठन का नाम रखा गया भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी यानी CPI (माओवादी)। फिर भूपति इसमें सक्रिय भूमिका निभाने लगे।

भूपति साल 2011 में मारे गए माओवादी कमांडर मल्लाजोलु कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी के छोटे भाई हैं।
2010 में CPI (माओवादी) के प्रवक्ता बने
भूपति ने दक्षिण भारत में एक नया गुरिल्ला जोन बनाने की योजना भी बनाई। फिर गोवा से केरल तक पश्चिमी घाट की पहाड़ियों में एक गुरिल्ला जोन बनाया। इसके बाद साल 2010 में प्रवक्ता चेरुकुरी राजकुमार (आजाद) की मौत के बाद भूपति ने CPI (माओवादी) के आधिकारिक प्रवक्ता का पद संभाला। साथ ही, संगठन के पब्लिकेशन डिवीजन को भी मैनेज किया।
महासचिव न बनाए जाने से नाराज थे
दरअसल, 21 मई 2025 में CPI (माओवादी) के जनरल सेक्रेटरी गगन्ना उर्फ बासव राजू उर्फ नंबाला केशव राव को 21 मई को अबूझमाड़ इलाके में सुरक्षाबलों ने मार गिराया था। उसकी मौत के बाद नए महासचिव की नियुक्ति होनी थी। सोनू को उम्मीद थी कि उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि और नक्सलवाद के प्रति उसके समर्पण को देखते हुए संगठन का नया महासचिव उसे ही बनाया जाएगा। हलांकि इस दौड़ में देवजी का नाम भी शामिल था, जिसमें देवजी ने बाजी मार ली।
भूपति इसी के बाद से संगठन से नाराज था। इस बीच उसने अपनी पत्नी तारक्का से संपर्क किया, तो उसने भी सरेंडर के लिए प्रेरित किया। भूपति की पत्नी तारक्का ने कुछ महीने पहले ही गढ़चिरौली में सरेंडर किया था। अभी वह गढ़चिरौली में ही रह रही है। ऐसे में सोनू ने सरेंडर के बाद पत्नी के साथ रहने गढ़चिरौली को चुना।

बुधवार, 15 अक्टूबर को भूपति, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सामने गढ़चिरौली में औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण किया।
सरेंडर करने वाले माओवादियों ने अपने 54 हथियार भी पुलिस को सौंपे हैं, जिनमें जिसमें 8 AK-47 शामिल हैं।
गुरिल्ला युद्ध ट्रेनिंग मैनुअल को अपग्रेड किया
भूपति ने पोलित ब्यूरो मेंबर के रूप में भूपति ने छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और तेलंगाना में गुरिल्ला ऑपरेशनों का संचालन किया। उन्होंने PLGA के मुखपत्र ‘पीपल्स मार्च’ के जरिए तमाम प्रकार के प्रोपेगैंडा का मैनेजमेंट किया। PLGA सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के प्रमुख रहते हुए भूपति ने गुरिल्ला युद्ध ट्रेनिंग मैनुअल को अपग्रेड और मॉडिफाई किया।
भूपति ही वो मास्टर माइंड था, जिसने छत्तीसगढ़ के इंद्रावती नेशनल पार्क में विद्रोही अड्डा बनाया। इसे माओवादी आंदोलन का दूसरा हेडक्वार्टर माना जाता था। ये अड्डा ग्रुपिंग, हथियारों की आपूर्ति और स्ट्रैटेजिक योजनाएं बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था।

भूपति पर 2011 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 76 CRPF जवानों की हत्या की साजिश रचने का आरोप भी है।
कई बड़े हमलों का मास्टरमाइंड
सुरक्षा बलों का मानना है कि भूपति कई बड़े हमलों का मास्टरमाइंड थे, जिनमें 2010 में दंतेवाड़ा में CRPF जवानों पर हुआ हमला भी शामिल है। इस हमले में 76 जवान शहीद हो गए थे। उन पर हत्या, हत्या के प्रयास, सुरक्षा बलों पर हमले और आगजनी जैसे कई आरोप हैं। महाराष्ट्र, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में उन पर 7 करोड़ रुपए से ज्यादा का इनाम है।
अब तक 1,522 माओवादियों ने सरेंडर किया
सरकारी आंकड़ों के हिसाब से 1980 में महाराष्ट्र में माओवादी आंदोलन शुरू होने के बाद से कुल 1,522 माओवादियों ने सरेंडर किया है। वहीं, 4,123 माओवादियों को गिरफ्तार किया गया है और 347 माओवादिओं के ऑपरेशन में मारा गया है।
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