12 मिनट पहले
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जस्टिस सूर्यकांत ने आज 24 नवंबर को देश के 53वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) पद की शपथ ली। राष्ट्रपति भवन में हुए समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई ने सोमवार, 27 अक्टूबर को अपने उत्तराधिकारी के रूप में सीनियर जस्टिस सूर्यकांत शर्मा के नाम की सिफारिश की।
परंपरा है कि मौजूदा CJI अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश तभी करते हैं, जब उन्हें कानून मंत्रालय से ऐसा करने का कहा जाता है। मौजूदा CJI गवई का कार्यकाल आज, 23 नवंबर को खत्म हुआ। सुप्रीम कोर्ट के जज 65 साल की उम्र में रिटायर होते हैं।
आने वाले दिनों में जस्टिस सूर्यकांत 8 महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करेंगे-
1. स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) का मामला
21 नवंबर को जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने केरल सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें राज्य ने स्थानीय निकाय चुनाव खत्म होने तक स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR प्रक्रिया स्थगित करने की मांग की गई थी। राज्य सरकार चाहती है कि यह प्रक्रिया, जो फिलहाल जारी है, अगले महीने होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों के खत्म होने तक स्थगित कर दी जाए। इस मामले की सुनवाई 26 नवंबर को नए CJI की बेंच करेगी।
इससे पहले जुलाई, 2025 में बिहार के SIR मामले में उनकी बेंच ने कहा था कि इलेक्शन कमीशन आधार और वोटर कार्ड को SIR के लिए शामिल कर सकता है। अगर कोई अवैधता पाई गई तो अदालत हस्तक्षेप कर सकती है।
2. तलाक-ए-हसन का मामला
19 नवंबर को जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने तलाक-ए-हसन की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई की थी। इसमें बेंच ने कहा कि ये मामला 5 जजों की संविधान पीठ को भेजा जा सकता है। पीठ ने पक्षों से उन कानूनी सवालों की सूची मांगी है, जिन पर विचार करना जरूरी होगा। अगली सुनवाई 26 नवंबर को होगी।
3. बिल्डर–बैंक नेक्सस के घोटाले का मामला
सितंबर में जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने CBI को 22 दर्ज मामलों के अलावा 6 नए मामले दर्ज करने की अनुमति दी। ये मामले बिल्डरों और वित्तीय संस्थानों की मिलीभगत से घर खरीदने वालों को धोखा देने से जुड़े हैं।
1200 से ज्यादा होमबायर्स ने दावा किया था कि उन्हें कब्जा न मिलने के बावजूद EMIs भरने को मजबूर किया जा रहा है। इस जांच का दायरा NCR से लेकर मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, मोहाली और इलाहाबाद के प्रोजेक्ट्स तक विस्तारित है।
4. सोशल मीडिया कंटेंट रेगुलेशन का मामला
जस्टिस सूर्यकांत की बेंच सोशल मीडिया पर कंटेंट को रेगुलेट करने से जुड़े मामलों की भी सुनवाई करेगी। यह बेंच स्टैंड-अप कॉमेडियन समय रैना के खिलाफ उस याचिका को सुन रही है जिसमें उन पर दिव्यांगो के बारे में कथित रूप से असंवेदनशील मजाक करने का आरोप है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सोशल मीडिया रेगुलेशन के लिए ड्राफ्ट गाइडलाइंस भी मांगे हैं।
5. हाईकोर्ट्स द्वारा फैसले लंबित रखने का मुद्दा
अगस्त, 2025 में 4 दोषियों की याचिका पर सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि कई हाई कोर्ट वर्षों तक फैसला सुरक्षित रखकर फाइनल जजमेंट नहीं देते। इससे लोगों को न्याय नहीं मिल पाता।
सुप्रीम कोर्ट ने अन्य हाई कोर्टों से भी इस संबंध में जानकारी मांगी थी। देशभर के हाई कोर्टों में रिजर्व जजमेंट के मामलों को भी नए CJI के सामने रखे जाने वाले मुद्दों में शामिल किया जाएगा।
6. रोहिंग्या शरणार्थी और अवैध घुसपैठ का मामला
जुलाई, 2025 में जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने रोहिंग्याओं को ‘शरणार्थी’ या ‘अवैध प्रवासी’ मानने और उन्हें अनिश्चितकाल तक हिरासत में रखने से जुड़े मामलों को सुनने के लिए सहमति दी। अगली तारीख तय नहीं की गई है, लेकिन यह मामला नए CJI के सामने आएगा।
7. डिजिटल स्कैम या डिजिटल अरेस्ट का मामला
अंबाला के एक बुजुर्ग दंपति से 1 करोड़ रुपए की ठगी के मामले का सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था। जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने ऐसे सभी मामलों की जांच CBI को सौंप दी। 27 अक्टूबर को बेंच ने डिजिटल अरेस्ट मामलों पर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया और ऐसे मामलों में दर्ज FIRs का ब्योरा मांगा है।
8. देशद्रोह कानून का मामला
मई 2022 में, जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने भारतीय दंड संहिता की धारा 124A (राजद्रोह) के प्रावधानों की केंद्र सरकार द्वारा पुनः समीक्षा और पुनर्विचार होने तक, देशभर की अदालतों में लंबित सभी राजद्रोह मामलों पर रोक लगा दी थी। अब राजद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता सरकार की समीक्षा के अधीन है। यह मामला सुनवाई के लिए आने पर नए CJI के पास जाएगा।

10वीं बोर्ड में पहली बार शहर देखा था
जस्टिस सूर्यकांत की जर्नी हरियाणा के हिसार के एक गुमनाम से गांव पेटवाड़ से शुरू हुई। उनके पिता टीचर थे। 8वीं तक उन्होंने एक गांव के स्कूल में ही पढ़ाई की, जहां बैठने के लिए बेंच तक नहीं थी। पहली बार शहर तब देखा जब वे 10वीं की बोर्ड परीक्षा देने हिसार के एक छोटे से कस्बे हांसी गए थे।

हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस नियुक्त होने पर हुआ विवाद
जस्टिस सूर्यकांत की हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्ति विवादों में रही। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में एक परामर्शदाता यानी कंसल्टी जज जस्टिस ए. के. गोयल ने उनकी नियुक्ति पर असहमति जाहिर की थी। आमतौर पर कॉलेजियम किसी जस्टिस के प्रमोशन पर विचार करते समय उस हाईकोर्ट से परिचित कंसल्टी जज की राय लेता है।
इसके बावजूद, कॉलेजियम ने उनकी नियुक्ति को मंजूरी दे दी और जस्टिस सूर्यकांत 5 अक्टूबर, 2018 को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बनाए गए। इस पर रिटायर्ड जस्टिस ए. के. गोयल ने जस्टिस सूर्यकांत के खिलाफ कड़ी आपत्ति जताते हुए पत्र भी साझा किया था। इस बीच 2019 में कॉलेजियम ने जस्टिस सूर्यकांत को सुप्रीम कोर्ट में भी प्रमोट किया।
CJI बनने वाले पहले हरियाणवी होंगे
जस्टिस सूर्यकांत इंडियन ज्यूडिशियरी की टॉप पोस्ट पर पहुंचने वाले हरियाणा से पहले शख्स होंगे। उनके नाम की सिफारिश करते हुए CJI गवई ने कहा कि जस्टिस सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट की कमान संभालने के लिए उपयुक्त और सक्षम हैं।
आर्टिकल 370 समेत 1,000 से ज्यादा फैसलों में शामिल रहे
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत कई कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच का हिस्सा रहे हैं। अपने कार्यकाल के दौरान वे संवैधानिक, मानवाधिकार और प्रशासनिक कानून से जुड़े मामलों को कवर करने वाले 1000 से ज्यादा फैसलों में शामिल रहे।
जस्टिस सूर्यकांत के यादगार फैसले
- पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की फुल बेंच का हिस्सा थे जिसने 2017 में बलात्कार के मामलों में गुरमीत राम रहीम सिंह को जेल की सजा सुनाई। हिंसा के बाद डेरा सच्चा सौदा को पूरी तरह से साफ करने का आदेश भी दिया।
- जस्टिस सूर्यकांत उस बेंच का हिस्सा थे जिसने कॉलोनियल एरा के राजद्रोह कानून को स्थगित रखा था। साथ ही निर्देश दिया था कि सरकार की समीक्षा तक इसके तहत कोई नई FIR दर्ज न की जाए।
- सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन समेत बार एसोसिएशनों में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित किए जाने का निर्देश भी जस्टिस सूर्यकांत ने दिया है।
- वे पेगासस स्पाइवेयर मामले की सुनवाई करने वाली बेंच का हिस्सा थे, जिसने गैरकानूनी निगरानी के आरोपों की जांच के लिए साइबर एक्सपर्ट का एक पैनल बनाया था। उन्होंने यह भी कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में खुली छूट नहीं मिल सकती।