Indian Cricketer Shikha Pandey Interview; WPL Auction | Lucknow | IAF की स्क्वॉड्रन लीडर जो बनीं इंटरनेशनल क्रिकेटर: ऑलराउंडर शिखा पांडेय बोलीं- WPL ने लड़कियों की किस्मत बदली – Lucknow News

भारतीय महिला क्रिकेट टीम की ऑलराउंडर शिखा पांडेय WPL में इस सीजन यूपी वारियर्स के साथ खेलेंगी। WPL ऑक्शन में 40 लाख के बेस प्राइज में उनकी बोली 2.40 करोड़ रुपए लगी थी। गोवा में पली-बढ़ीं शिखा पांडेय की जड़ें उत्तर प्रदेश के जौनपुर और आजमगढ़ से जुड़ी

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खास बात यह रही कि वह स्पोर्ट्स कोटे से नहीं बल्कि एकेडमिक एंट्री से पहुंचीं, फिर भी एयरफोर्स से इंडिया टीम को रिप्रजेंट करने वाली पहली महिला ऑफिसर हैं। वह स्क्वॉड्रन लीडर हैं। यूपी से होकर टीम इंडिया के लिए खेलने और एयरफोर्स से जुड़ने पर वह गर्व महसूस करती हैं। वह लखनऊ के एक लिट्फेस्ट में पहुंचीं। यहां हमने उनसे बातचीत की…।

शिखा की यह तस्वीर इंटरनेट से ली गई है। तस्वीर कैंटरबरी मैजीयंस ट्रॉफी के दौरान की है।

शिखा की यह तस्वीर इंटरनेट से ली गई है। तस्वीर कैंटरबरी मैजीयंस ट्रॉफी के दौरान की है।

शिखा पांडेय ने अपने दोनों करियर, अब तक की जर्नी, महिला खिलाड़ियों के हक, WPL पर ढेर सारी बातें की। पढ़िए…

सवाल : एयरफोर्स ऑफिसर और टीम इंडिया की खिलाड़ी, दोनों रोल निभाने का अनुभव कैसा है?

जवाब : मैं खुद को बहुत भाग्यशाली मानती हूं कि मुझे एक साथ दो यूनिफॉर्म पहनने का मौका मिला। इंडिया के लिए जर्सी नंबर-12 के साथ ब्लू जर्सी पहनना और इंडियन एयरफोर्स की ब्लू यूनिफॉर्म डॉन करना, दोनों ही मेरे बचपन के सपने थे। बहुत कम लोगों को दो बड़े सपने देखने और फिर उन्हें सच करने का मौका मिलता है, तो इस सफर ने मुझे बहुत कुछ सिखाया और एक अलग तरह का गर्व दिया।

लखनऊ पहुंची शिखा पांडेय ने दैनिक भास्कर से बातचीत की।

लखनऊ पहुंची शिखा पांडेय ने दैनिक भास्कर से बातचीत की।

सवाल : आपकी क्रिकेट जर्नी में स्ट्रगल कितना रहा? टीचर फैमिली बैकग्राउंड से आकर क्रिकेट तक पहुंचने की कहानी क्या रही?

जवाब : मैं गोवा में पली-बढ़ी हूं, लेकिन मेरी जड़ें उत्तर प्रदेश से हैं। मेरे पिताजी जौनपुर के हैं और मां आजमगढ़ से, तो अपनेपन का एहसास हमेशा रहा। उनका कहना है कि हर जर्नी में स्ट्रगल होता है, लेकिन मेरे पिताजी और माताजी ने शुरू से ही मेरा बहुत सपोर्ट किया, उन्हें खुशी थी कि मैं क्रिकेट करना चाहती हूं, बस साथ में उन्होंने पढ़ाई पर भी पूरा जोर दिया क्योंकि पापा खुद टीचर थे। घर में पढ़ाई लिखाई का माहौल था।

सवाल : एयरफोर्स की जॉब और प्रोफेशनल क्रिकेट, दोनों के बीच बैलेंस कैसे बनाया?

जवाब : शुरुआत में बैलेंस बनाना बहुत मुश्किल था, खासकर तब जब मैं इंजीनियरिंग कर रही थी; कई बार लगा कि एक साथ प्रोफेशनल डिग्री और प्रोफेशनल स्पोर्ट चुनना शायद बहुत कठिन फैसला था, लेकिन कॉलेज के दौरान मेरे लेक्चरर्स और कोर्समेट्स ने बहुत मदद की, उन्होंने हमेशा मोटिवेट किया, जिसके कारण मैं पढ़ाई और क्रिकेट दोनों को जारी रख पाई।

एयरफोर्स में एयर ट्रैफिक कंट्रोल ब्रांच में ऑफिसर रहते हुए भी एयरफोर्स स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड ने मेरे लिए कई नियमों में लचीलापन रखा, ताकि मुझे डोमेस्टिक टूर्नामेंट्स में खेलने के लिए छुट्टियां मिल सकें और मैं एयरफोर्स से इंडिया टीम को रिप्रजेंट करने वाली पहली ऑफिसर बन सकूं।

शिखा पांडेय इंडियन एयरफोर्स में स्क्वॉड्रन लीडर हैं।

शिखा पांडेय इंडियन एयरफोर्स में स्क्वॉड्रन लीडर हैं।

सवाल : एयरफोर्स में आपके क्रिकेट खेलने के लिए क्या-क्या अरेंजमेंट किए?

जवाब : एयरफोर्स में महिलाओं की भर्ती ऑफिसर कैडर में होती थी और मेरा चयन एकेडमिक एंट्री के जरिए F-CAT और एसएसबी क्लियर करने के बाद एयर ट्रैफिक कंट्रोल ब्रांच में हुआ था, यानी मैं स्पोर्ट्स कोटे से नहीं आई थी। ऐसे में मेरे लिए सबसे बड़ा सपोर्ट यही था कि अलग-अलग डोमेस्टिक टूर्नामेंट्स में खेलने के लिए मुझे लीव दी गई, जो आसान नहीं होता।

उन्होंने यह समझा कि एयरफोर्स की एक ऑफिसर इंडिया टीम को रिप्रजेंट कर रही है, इस पर उन्हें भी गर्व था। आज भी भारत में महिला क्रिकेटर्स के लिए जॉब ऑपरच्युनिटीज सीमित हैं, रेलवे और धीरे-धीरे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट जैसी संस्थाएं रोजगार दे रही हैं, लेकिन अभी भी बहुत विकास की जरूरत है।

वीमेन प्रीमियर लीग में शिखा अब तक दिल्ली कैपिटल्स से खेलती रही हैं।

वीमेन प्रीमियर लीग में शिखा अब तक दिल्ली कैपिटल्स से खेलती रही हैं।

सवाल : महिला क्रिकेट में क्या WPL टैलेंट नर्सिंग का बड़ा फैक्टर साबित हुआ?

जवाब : WPL ने महिला क्रिकेट को एक नया आयाम दिया है और इसका बड़ा योगदान है कि भारत ने हाल ही में 2025 का वनडे वर्ल्ड कप जीता है, भले ही फॉर्मेट अलग हो, लेकिन हाई-प्रेशर मैचों की प्रैक्टिस ने टीम को मजबूत बनाया है।

जब डोमेस्टिक क्रिकेटर्स इंटरनेशनल खिलाड़ियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खेलते हैं, तो उनका कॉन्फिडेंस बढ़ता है, गेम समझने का नजरिया बदलता है और सीखने की स्पीड भी कई गुना बढ़ जाती है। जैसे, आईपीएल के बाद पुरुष क्रिकेट का स्टैंडर्ड ऊपर गया, वैसे ही WPL के लगातार चलने और टीमों के बढ़ने से महिला क्रिकेट का स्तर भी और ऊंचा हो रहा है। ज्यादा टैलेंट सामने आ रहा।

शिखा पांडेय लखनऊ में एक लिट्फेस्ट में शनिवार को पहुंची थीं।

शिखा पांडेय लखनऊ में एक लिट्फेस्ट में शनिवार को पहुंची थीं।

सवाल : उत्तर प्रदेश से आपका कनेक्शन और यूपी से खेलने का अनुभव कैसा रहा?

जवाब : मेरे लिए यह बहुत खास है कि इस मैं उत्तर प्रदेश की टीम की तरफ से खेल रही हूं। मेरी जड़ें भी यहीं से जुड़ी हैं तो अपनेपन के साथ एक अलग जिम्मेदारी भी महसूस होती है। इससे पहले मैं दिल्ली कैपिटल्स के लिए भी खेल चुकी हूं, लेकिन वहां ट्रॉफी नहीं जीत पाई, अब कोशिश यही है कि यूपी वॉरियर्स के लिए अपना 100% दूं और टीम के साथ मिलकर खिताब जीतने में योगदान करूं।

शिखा पांडेय ने बताया- मेरे पिताजी जौनपुर में रहे और मामाजी आजमगढ़ के हैं।

शिखा पांडेय ने बताया- मेरे पिताजी जौनपुर में रहे और मामाजी आजमगढ़ के हैं।

सवाल : यंग एथलीट्स, खासकर लड़कियों के लिए आपका मैसेज क्या है, जो पढ़ाई और स्पोर्ट्स दोनों को लेकर कन्फ्यूज रहती हैं?

जवाब : यंग एथलीट्स के लिए सबसे जरूरी बात यह है कि वे अपने सपनों को लेकर क्लियर रहें और मेहनत से कभी समझौता न करें, चाहे वह मैदान की हो या क्लासरूम की। पढ़ाई और खेल दोनों का संतुलन शुरुआत में मुश्किल लगता है, लेकिन सही प्लानिंग, फैमिली सपोर्ट और मेंटर्स की गाइडेंस के साथ यह पूरी तरह मुमकिन है और लंबे करियर में यही बैकअप आपकी सबसे बड़ी ताकत बनता है।

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