Abdul Kalam held his hand and said – this is the hand of a soldier, Earning 800 rupees a month, his mother made him a lieutenant; cadets took an oath to defend the country at the IMA’s passing out par | अब्दुल कलाम ने हाथ थामकर कहा- ये फौजी का हाथ: महीने में 800 रुपए कमाकर मां ने बनाया लेफ्टिनेंट, IMA की पासिंग आउट परेड में कैडेट्स ने देश की रक्षा की शपथ ली

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58 मिनट पहले

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इंडियन मिलिट्री एकेडमी यानी IMA देहरादून में 13 दिसंबर को पासिंग आउट परेड हुई। इस दौरान कई यंग कैडेट्स को सेना में कमीशन दिया गया है। सभी कैडेट्स ने देश की रक्षा और सेवा की शपथ ली। अब ये ऑफिसर भारतीय सेना में अफसर के तौर पर तैनात होंगे।

पासिंग आउट परेड के बाद कई ऑफिसर चर्चा में हैं। कोई एग्जाम में 6 बार फेल होने के बाद सेना में अफसर बना है। तो वहीं किसी का परिवार चार पीढ़ियों से देश की सेवा कर रहा है। सेना में हरदीप गिल भी ऑफिसर बने हैं जिनके पिता का बचपन में ही निधन हो गया था।

4 पीढ़ियों से देश की सेवा कर रहा हरमनमीत का परिवार

22 साल के लेफ्टिनेंट हरमनमीत सिंह भी भारतीय सेना में कमीशन हुए हैं। उनके परदादा, दादा, चाचा और पिता सभी सेना में सेवा कर चुके हैं।

सेना में आने वाली वे परिवार की चौथी पीढ़ी बनें हैं। हरमनमीत जब 3 साल के थे, तब पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने IMA में उनका हाथ पकड़कर कहा था, ‘ये फौजी का हाथ हैं’, और आज उसी IMA से वे अफसर बनकर निकले हैं।

लेफ्टिनेंट हरमनमीत सिंह अपने परिवार के साथ।

लेफ्टिनेंट हरमनमीत सिंह अपने परिवार के साथ।

उनके परदादा सुबेदार प्रताप सिंह 1948 में सेना में आए थे। दादा और चाचा भी सेना में अलग-अलग रैंक पर रहे। उनके पिता रिटायर्ड कर्नल हरमीत सिंह उसी 6 मराठा लाइट इन्फैंट्री के कमांडिंग ऑफिसर थे जिसमें अब हरमनमीत नियुक्त हुए हैं। इस अवसर पर हरमनमीत सिंह ने कहा, ‘सेना में ऑफिसर बनना मेरा बचपन का सपना था, जो अब पूरा हुआ है।’

12वीं के बाद सेना में सिपाही बने, 6 बार फेल हुए

32 साल के गुरमुख सिंह सेना में कमीशन हुए हैं। उनके पिता जसवंत सिंह भी सेना में सूबेदार मेजर रह चुके हैं। गुरमुख ने 12वीं के बाद सेना में सिपाही के रूप में देश की सेवा की। लेकिन हमेशा से आर्मी अफसर बनने का सपना था।

गुरमुख की सिपाही के तौर पर लद्दाख में पोस्टिंग हुई। वहां उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। 6 बार ऑफिसर का एग्जाम दिया लेकिन पास नहीं हो पाए। आखिरकार 7वीं बार में सफलता हासिल की और अब सेना में लेफ्टिनेंट बन गए हैं।

लेफ्टिनेंट गुरमुख सिंह।

लेफ्टिनेंट गुरमुख सिंह।

गुरमुख सिंह ने कहा, ‘हर बार जब मैं एग्जाम में फेल होने के बाद पापा को बताता था, तो वो हमेशा मुझे कॉन्फिडेंस देते रहे कि इस बार हो जाएगा।’ परेड देखने आए में उनके पिता सूबेदार मेजर जसवंत सिंह ने कहा, ‘बेटे को अधिकारी के रूप में देखकर बहुत ही गर्व जैसा महसूस हो रहा है।’

बचपन में ही पिता का निधन, मां मिड-डे मील वर्कर

हरदीप गिल सिख लाइट इन्फैंट्री में ऑफिसर बने हैं। बचपन में ही उनके पिता का निधन हो गया था। उसके बाद मां ने ही उनकी परवरिश की। मां स्कूल में मिड-डे मील वर्कर हैं और महीनेभर में करीब 800 रुपए ही कमा पाती हैं।

हरदीप गिल अपनी माता के साथ।

हरदीप गिल अपनी माता के साथ।

हरदीप वायुसेना में एयरमैन बनना चाहते थे। उनका सिलेक्शन भी हो गया था लेकिन अग्निवीर योजना आने के बाद उनके बैच की जॉइनिंग नहीं हुई। इस सबके बाद भी हरदीप ने हार नहीं मानी और तैयारी करते रहे। आखिरकार ऑल इंडिया मेरिट लिस्ट में उन्हें 54वां स्थान मिला।

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