13 मिनट पहले
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छत्तीसगढ़ में अब स्कूलों के आसपास आवारा कुत्तों की निगरानी का काम स्कूल प्रिंसिपल करेंगे। राज्य स्कूल शिक्षा विभाग ने इसके निर्देश जारी किए हैं। जारी दिशानिर्देशों के तहत अब स्कूल के अंदर या आसपास के कुत्तों की निगरानी और रिपोर्टिंग की जिम्मेदारी स्कूल प्रिंसिपल पर होगी। विभाग ने बताया कि ये दिशानिर्देश हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों के पालन में जारी किए गए हैं।
आधिकारिक बयान के अनुसार, ‘सुप्रीम कोर्ट के आदेश और राज्य के पशुपालन विकास विभाग के निर्देशों के आधार पर, सभी स्कूलों को तुरंत सुरक्षा उपाय लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। हर स्कूल के प्रिंसिपल या संस्था प्रमुख को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है, जो स्कूल परिसर में या आसपास आवारा कुत्तों की निगरानी और रिपोर्टिंग के लिए जिम्मेदार होंगे।’
कुत्ता दिखते ही ग्राम पंचायत को सूचना देंगे
यदि स्कूल के आसपास या परिसर में आवारा कुत्ते दिखते हैं, तो नोडल अधिकारी को तुरंत संबंधित ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत या नगर निगम के निर्धारित डॉग-कैचर नोडल अधिकारी को इसकी सूचना देनी होगी। स्कूलों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे स्कूल में आवारा कुत्तों के घुसने को रोकने के लिए जरूरी सुरक्षा तंत्र स्थापित करें।
कुत्ते के काटने की किसी भी घटना में स्कूल प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि बच्चे को तुरंत पास के स्वास्थ्य केंद्र ले जाकर प्राथमिक उपचार और समय पर इलाज दिया जाए। विभाग ने कहा कि इन उपायों से राज्य के सभी स्कूलों में बच्चों के लिए एक सुरक्षित माहौल बनेगा।
कांग्रेस ने फैसले की आलोचना की
विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने इस निर्णय को शिक्षकों पर अनावश्यक बोझ बताया। पार्टी ने कहा कि सरकार चाहती है कि शिक्षक पढ़ाने के अलावा बाकी हर काम करें।

कांग्रेस के राज्य संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा, ‘ऐसी जिम्मेदारियां नगर निगमों और पंचायतों जैसी स्थानीय निकायों की होनी चाहिए। आवारा जानवरों का प्रबंधन स्थानीय निकायों का ही काम है। उनके पास इसके लिए जरूरी मशीनरी, डॉग कैचर और ट्रेंड कर्मचारी होते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘टीचर्स को नगरपालिका का काम क्यों दिया जा रहा है? उन्हें पहले ही SIR के लिए बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) बनाया गया है। इससे स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित हो रही है। लगता है शिक्षा सरकार की प्राथमिकता नहीं है।’
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