RAW chief Parag Jain given additional charge of security secretary | रॉ चीफ पराग जैन को सुरक्षा सचिव का अतिरिक्त प्रभार: DU से ग्रेजुएट, 1989 बैच के पंजाब कैडर के IPS ऑफिसर, जानें कंप्लीट प्रोफाइल

  • Hindi News
  • Career
  • RAW Chief Parag Jain Given Additional Charge Of Security Secretary

48 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

केंद्र सरकार ने बुधवार, 12 नवंबर को R&AW यानी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के चीफ पराग जैन को सुरक्षा सचिव का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है। ये निर्णय कैबिनेट की अपॉइंटमेंट्स कमेटी ने लिया है। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने आदेश जारी कर उनकी नियुक्ति की जानकारी दी है।

R&AW प्रमुख बनने से पहले पराग R&AW के एविएशन रिसर्च सेंटर के हेड थे। वो तकरीबन 20 साल से R&AW के लिए काम कर रहे हैं।

पराग जैन के प्रोफेशनल सफर की झलक

1. एविएशन रिसर्च सेंटर (ARC) के निदेशक

R&AW के अंतर्गत आने वाले इस तकनीकी खुफिया केंद्र का नेतृत्व करते हुए पराग जैन ने हवाई निगरानी (Aerial Surveillance), सिग्नल इंटेलिजेंस (SIGINT) और इमेजरी इंटेलिजेंस (IMINT) जैसे क्षेत्रों को मॉडर्न बनाया। उनके कार्यकाल में ARC ने खुफिया विश्लेषण की नई ऊंचाइयों को छुआ।

2. ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के सूत्रधार

मई 2025 में पाकिस्तान और POK में स्थित आतंकवादी शिविरों पर भारत द्वारा की गई सटीक मिसाइल स्ट्राइक्स में उनकी खुफिया रणनीति निर्णायक साबित हुई। यह ऑपरेशन R&AW की क्षमताओं का प्रत्यक्ष उदाहरण बन गया।

3. पंजाब में आतंकवाद विरोधी अभियानों के नायक

1990 और 2000 के दशक में पराग जैन ने बठिंडा, मंसा, होशियारपुर जैसे संवेदनशील जिलों में SSP के तौर पर कार्य किया और लुधियाना व चंडीगढ़ में डीआईजी रहते हुए आतंकवाद और ड्रग तस्करी के नेटवर्कों पर प्रभावी कार्रवाई की।

4. पाकिस्तान व जम्मू-कश्मीर डेस्क के विशेषज्ञ

रॉ में रहते हुए उन्होंने पाकिस्तान पर केंद्रित डेस्क का नेतृत्व किया। बालाकोट एयरस्ट्राइक और अनुच्छेद 370 हटाने जैसे संवेदनशील समय में उनकी भूमिका बेहद अहम रही।

5. अंतरराष्ट्रीय निगरानी व नेटवर्क विश्लेषण

विदेशों में भारतीय मिशन में तैनाती के दौरान उन्होंने श्रीलंका और कनाडा में सक्रिय खालिस्तानी चरमपंथी नेटवर्कों पर करीबी नजर रखी और भारत सरकार को समय रहते अलर्ट किया।

क्यों अहम है उनकी नियुक्ति?

  • तकनीक व मानवीय खुफिया का संतुलन: जैन की खासियत है कि वे ह्यूमन इंटेलिजेंस (HUMINT) और तकनीकी निगरानी दोनों को संतुलित रूप से इस्तेमाल कर खुफिया तंत्र को अधिक प्रभावशाली बनाते हैं।
  • सीमापार आतंकवाद पर कड़ा प्रहार: उनकी नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब भारत को पाकिस्तान और अन्य पड़ोसी देशों से उत्पन्न हो रहे हाइब्रिड खतरों से निपटने के लिए तेजतर्रार नेतृत्व की जरूरत है।
  • डायस्पोरा आधारित आतंक नेटवर्क पर नजर: खासकर कनाडा और यूरोप में फैलते खालिस्तानी नेटवर्कों पर शिकंजा कसने में उनकी भूमिका आगे निर्णायक हो सकती है।

आरएन काव थे भारतीय खुफिया एजेंसी RAW के पहले चीफ

भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग यानी RAW की स्थापना 1968 में हुई थी। इसके पहले चीफ आरएन काव थे। उन्हें भारत के मास्टरस्पाई के नाम से जाना जाता है।

काव ने RAW के निदेशक के रूप में करीब 10 साल (1968 से 1977) तक अपनी सेवाएं दी थी।

काव ने RAW के निदेशक के रूप में करीब 10 साल (1968 से 1977) तक अपनी सेवाएं दी थी।

उसके बाद काव को केंद्रीय कैबिनेट के सुरक्षा सलाहकार (असल में, पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार) नियुक्त किया गया। इसके बाद वो तत्कालीन प्रधानमंत्री (राजीव गांधी) को सुरक्षा के मामलों और विश्व के खुफिया विभाग के अध्यक्षों से संबंध स्थापित करने में विशेष सलाहकार के रूप में अपनी सेवाएं देते रहे थे।

——————–

ऐसी ही और खबरें पढे़ं…

3 साल तिहाड़ में रहा अल-फलाह यूनिवर्सिटी का फाउंडर: एमपी से इंजीनियरिंग, जामिया का फैकल्टी रहा जवाद अहमद सिद्दीकी; जानें कंप्लीट प्रोफाइल

10 नवंबर की शाम दिल्ली में हुए कार बम धमाके में 12 लोगों की मौत हुई और दर्जनों घायल हैं। भारत सरकार ने इसे आतंकी घटना यानी एक्ट ऑफ टेररिज्म कहा है।

कार की ड्राइविंग कर रहे शख्स की पहचान डॉ. मोहम्‍मद उमर नबी के रूप में हुई। ये हरियाणा के फरीदाबाद के अल-फलाह यूनिवर्सिटी का फैक्लटी था। मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस ने यूनिवर्सिटी में छापा मारकर 12 लोगों हिरासत में लिया है।

अल-फलाह यूनिवर्सिटी का नाम सामने आने के बाद इसके मालिक जवाद अहमद सिद्दीकी लगातार चर्चा में हैं। पूरी खबर पढ़ें…

खबरें और भी हैं…

Source link

Leave a Comment