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National Childrens Day 2025 11-year-olds turn school project into startup | 11 साल के बच्‍चों ने स्कूल प्रोजेक्ट को बनाया स्‍टार्टअप: 9 साल की विनुषा ने शुरू किया बेकरी ब्रांड; जानें बच्‍चों के सफल स्‍टार्टअप की 4 कहानियां

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10 मिनट पहले

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कुछ दिनों पहले बेंगलुरु के बसवेश्वरनगर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। वीडियो में तीन बच्चे अपने पेपर बैग्स का प्रमोशन करते और बेचते नजर आ रहे हैं।

दरअसल, इन बच्चों ने अखबार से बिना कैंची, बिना टेप और बिना किसी ग्लू के पेपर बैग्स बनाए और इसका इको-फ्रेंडली मिनी स्टार्टअप ‘इको वाला’ शुरू किया। ये बच्चे घर-घर इन पेपर बैग्स को डिलीवर करते हैं और इसके लिए केवल 10 रुपए मंथली चार्ज करते हैं।

इंडस्ट्रलिस्ट हर्ष गोएंका ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर ये वीडियो शेयर कर लिखा, ‘शार्क टैंक या आइडियाबाज भूल जाओ। इनकी पिच ने मेरा दिल चुरा लिया।’

आज यानी 14 नवंबर को पंडित जवाहरलाल नेहरु का जन्मदिन है। इस मौके पर देशभर में बाल दिवस मनाया जाता है क्योंकि माना जाता है कि पंडित नेहरू को बच्चे बहुत पसंद थे। आज इस मौैके पर जानते हैं ऐसे ही 4 बच्चों के बारे में जिन्होंने अपने दम पर खड़ा किया बिजनेस।

1. स्कूल प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू हुआ ‘इको वाला’

11 साल के तीन बच्चों ने ‘इको वाला’ को एक स्कूल प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया। शारदा इसकी फाउंडर हैं, नाचिकेत मैनेजर और सामुद्याता को-मैनेजर हैं।

इनका उद्देश्य सीधा सा है। अपने आस-पड़ोस के ज्यादा से ज्यादा लोगों को इको-फ्रेंडली प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल और प्लास्टिक वेस्ट को कम करना सिखाना।

इन पेपर बैग्स को क्रिएटिव तरीके से मोड़कर बनाया गया है जिससे ये मजबूत होने के साथ-साथ दोबारा इस्तेमाल करने लायक भी हैं। ये बहुत सस्ते हैं और इन्हें बांटना बहुत आसान है।

वायरल हुई वीडियो में बच्चे अपना मॉडल समझाते नजर आ रहे हैं। शारदा पेपर बैग दिखाकर कहती हैं, ‘यह सैंपल है। आप इसे ऐसे खोल सकते हैं। आप हर महीने सिर्फ 10 रुपए में हमारा सब्सक्रिप्शन ले सकते हैं। हम हर रविवार को 2 पेपर बैग्स आपके घर पर देकर जाएंगे। आप हमें अपना एड्रेस दे सकते हैं।’

अगर किसी कस्टमर को और बैग चाहिए या उनके यहां कोई इवेंट है तो वो बैग के अंदर लगी स्लिप पर लिखे नंबर पर संपर्क कर सकते हैं। शारदा कहती हैं, ‘हम फ्री सैंपल्स भी दे रहे हैं।’

2. मां के जन्मदिन पर केक बनाने से शुरु हुआ ‘फोर सीजन पेस्ट्री’

15 साल की विनुषा MK ‘फोर सीजन पेस्ट्री’ नाम का स्टार्टअप चलाती हैं। चेन्नई में रहने वाली विनुषा जब 9 साल की थीं तो मां के जन्मदिन पर कुछ स्पेशल करना चाहती थीं।

एक दोस्त और कुछ यूट्यूब वीडियोज की मदद से विनुषा ने मां के लिए बर्थडे केक बनाया और मां को सरप्राइज दिया। बस यहीं से उनके स्टार्टअप और आंत्रप्रेन्योर बनने का सफर शुरू हो गया।

इसके बाद विनुषा ने अपने माता-पिता की मदद से अगस्त 2019 में ‘फोर सीजन पेस्ट्री’ की शुरुआत की। यहां वो चार मौसमों से इन्सपायर्ड कपकेक्स बनाकर बेचती हैं।

वो कहती हैं, ‘सभी कपकेक्स का बेस एक ही जैसा होता है। बस उनकी फ्रॉस्टिंग और क्रीम अलग होती है। सर्दियों को दिखाने के लिए कपकेक पर स्नोफ्लेक लगाती हूं, गर्मी के लिए कपकेक ऑरेंज दिखता है, फूलों वाला कपकेक स्प्रिंग के मौसम को दर्शाता है और फैली हुई पत्तियों से ऑटम सीजन दिखता है।’

विनुषा स्कूल के बाद बचे हुए समय में अपना बिजनेस चलाती हैं। जनवरी 2020 में उन्होंने अपनी ब्रांड के अंतर्गत बेकिंग किट लॉन्च की। इस किट में बेकिंग के पीछे की साइंस की जानकारी, बेकिंग का सामान और रेसिपीज शामिल हैं।

विनुषा कहती हैं, ‘मैं फोर सीजन पेस्ट्री को देश की नंबर 1 डेजर्ट ब्रांड बनाना चाहती हूं।’

3. डब्बेवालों के साथ मिलकर शुरू की पार्सल कंपनी

बचपन का वो किस्सा तो याद ही होगा कि कैसे रात में ही हमें याद आता था कि अगले दिन स्कूल में कुछ लेकर जाना है। ऐसी ही एक सिचुएशन से तिलक मेहता ने अपना बिजनेस खड़ा कर लिया।

13 साल के तिलक को एक रात याद आया कि उसे मुंबई के दूसरे कोने से कुछ किताबें चाहिए। तिलक ने पिता विशाल मेहता से कहा लेकिन उस दिन वो इतना थक चुके थे कि सीधा मना कर दिया।

परेशान तिलक ने कोई ऐसी सर्विस ढूंढनी शुरू की जो मुंबई के उस कोने से उनकी किताबें उनके घर तक पहुंचा सके लेकिन तिलक को ऐसा कुछ नहीं मिला।

इसके बाद तिलक ने इस समस्या का समाधान करने का फैसला खुद ही कर लिया और इस तरह ‘पेपर एंड पार्सल्स’ का जन्म हुआ।

जुलाई 2018 में तिलक के पिता ने उसे 25 हजार रुपए का इन्वेस्टमेंट दिया और इस तरह इस डिलिवरी कंपनी की शुरुआत हुई। इसके लिए तिलक ने मुंबई के डब्बेवालों के साथ कोलैबोरेट किया। तिलक की कंपनी मुंबई के अंदर सेम-डे डिलिवरी की सुविधा देती है।

कस्टमर्स एक मोबाइल एप के जरिए अपना ऑर्डर कर सकते हैं। इस एप पर कस्टमर्स अपना पार्सल ट्रैक भी कर सकते हैं। अब तिलक की कंपनी में करीब 200 कर्मचारी और करीब 300 डब्बावाले काम करते हैं।

4. 7वीं के बाद स्कूल छोड़ा, अब स्टार्ट-अप्स की करते हैं मदद

बिहार के रोहित कश्यप ने 14 साल की उम्र में साल 2016 में अपना पहला स्टार्टअप ‘फूडक्यूबो’ शुरू किया। ये एक फूड डिलिवरी प्लेटफॉर्म था जिसे 2018 में एक बड़ी कंपनी ने एक्वायर कर लिया।

रोहित कश्यप को घर की आर्थिक दिक्कतों की वजह से 7वीं के बाद स्कूल छोड़ना पड़ा। इसके आगे की पढ़ाई उन्होंने घर से की है।

साल 2020 में 18 साल की उम्र में रोहित ने ‘मेट्री स्कूल ऑफ आंत्रप्रेन्योरशिप’ की शुरुआत की। इसके तहत युवा, ग्रामीण और नए आंत्रप्रेन्योर और आंत्रप्रेन्योर बनने की चाह रखने वाले लोगों को मेंटर और गाइड करने लगे।

मेट्री के तहत अगर किसी को अपना स्टार्टअप शुरू करने के लिए मेंटरशिप चाहिए तो उसके लिए 5 हजार रुपए की फीस लगती है। इसके बाद अगर किसी स्टार्टअप को आगे किसी मदद की जरूरत पड़ती है तो उसके लिए एक्स्ट्रा चार्ज लिया जाता है। कई बार कुछ स्टार्टअप्स में मेट्री इक्विटी भी लेता है।

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