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Even after independence, the 10th and 12th standard question papers were imported from England, and the results were flown in. | राष्ट्रीय शिक्षा दिवस आज: आजादी के बाद भी इंग्लैंड से आता था 10वीं-12वीं का क्वेश्चन पेपर, मौलाना कलाम ने बनाया CISCE बोर्ड

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3 घंटे पहले

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आज यानी 11 नवंबर को देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्मदिन है। इस मौके पर देशभर में नेशनल एजुकेशन डे मनाया जा रहा है।

सितंबर 2008 में मिनिस्ट्री ऑफ ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट ने अबुल कलाम के जन्मदिन को एजुकेशन डे के रूप में मनाने की घोषणा की थी। इसी मंत्रालय को अब शिक्षा मंत्रालय कहा जाता है।

किराए के कमरे से शुरू हुआ CISCE

1958 में नई दिल्ली के धौलपुर हाऊस से ‘काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट’ यानी CISCE की शुरुआत हुई। शाहजहां रोड पर एक किराए के कमरे में इसका पहला ऑफिस खोला गया।

शुरुआत में करीब 300 स्कूल CISCE के अंतर्गत आए जो पहले कैम्ब्रिज से एफिलिएटेड थे। बोर्ड ने इसके बाद दो बार अपना ऑफिस भी बदला- पहले निजामुद्दीन ईस्ट और बाद में नेहरू प्लेस।

दरअसल, अभी तक देश के ज्यादातर स्कूल यूनाइटेड किंग्डम के कैम्ब्रिज एडमिनिस्ट्रेशन से संबंधित थे। अबुल कलाम आजाद के नेतृत्व में CISCE की स्थापना हुई जो स्वतंत्र रूप से ICSE यानी 10वीं और ISC यानी 12वीं के एग्जाम्स कराने लगा। हालांकि 1975 तक इन एग्जाम्स के क्वेश्चन पेपर सेट होने और आंसर शीट्स के चेक होने का काम इंग्लैंड से ही होता रहा।

आजादी के बाद भी कैम्ब्रिज बोर्ड में होती रही पढ़ाई

1947 में भारत की आजादी के वक्त देश के पास एग्जाम्स कराने का कोई स्टेबल सिस्टम नहीं था। ऐसे में कैम्ब्रिज सिस्टम के अंतर्गत ही भारत के स्कूलों को रहना पड़ा। इस दौरान इंग्लैंड में क्वेश्चन पेपर सेट किए जाते थे। वहां से फ्लाइट के जरिए उन्हें भारत भेजा जाता था।

इसके बाद देश में एग्जाम होता था और यहां से आंसर शीट्स वापस इंग्लैंड भेजी जाती थी, जहां इवैल्यूएशन होता था। ज्यादातर सब्जेक्ट्स ब्रिटिश एग्जामिनर चेक करते थे। लोकल लैंग्वेजेस के पेपर देश के टीचर्स चेक करते थे।

इसी को बदलने के लिए अबुल कलाम आजाद ने CISCE की स्थापना की। इसी के चलते 1966 में भारत के एग्जामिनर्स को ट्रेन किया गया ताकि देश के स्कूलों में होने वाले एग्जामिनेशन के प्रोसेस को पूरी तरह से वो मैनेज कर सकें।

1975 में पहली बार भारत में क्वेश्चन पेपर्स सेट हुए और देश में ही आंसर शीट्स का इवैल्यूएशन किया गया।

1952 से अबुल कलाम कर रहे थे प्रयास

इस बदलाव के लिए शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद साल 1952 से प्रयास कर रहे थे। इसी साल अबुल कलाम की अध्यक्षता में हुई ऑल इंडिया सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन कॉन्फ्रेंस के दौरान भारतीय एग्जामिनेशन बोर्ड स्थापित करने की बात उठी।

बाद में CISCE के पहले चेयरमैन और फाउंडर फ्रेंक एंथनी और CISCE के पहले सेक्रेटरी AET बैरो ने इसका सपोर्ट किया और CISCE को बनाने के लिए लीगल और एडमिनिस्ट्रेटिव फ्रेमवर्क तैयार किया।

1957 में स्थापित देहरादून का वेलहम गर्ल्स स्कूल जैसे स्कूलों में शुरुआत में कैम्ब्रिज बोर्ड फॉलो किया जाता था, लेकिन बाद में यहां CISCE के तहत नियम लागू किए गए।

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