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Bhiwani shooter Ashish Panghal won two gold medals in Indore | भिवानी के शूटर ने इंदौर में जीते 2 गोल्ड: आशीष पंघाल ने 10 मीटर एयर पिस्टल से लगाया निशाना; छठी कक्षा से ले रहे कोचिंग – Bhiwani News

भिवानी के आशीष पंघाल ने इंदौर में आयोजित ऑल इंडिया इंटर स्कूल आईपीएससी अंडर-19 शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीते।

भिवानी के सेक्टर 23 निवासी एवं लक्ष्य शूटिंग एकेडमी में प्रशिक्षण ले रहे आशीष पंघाल ने ऑल इंडिया इंटर स्कूल आईपीएससी अंडर-19 शूटिंग चैंपियनशिप में दो गोल्ड मेडल जीते। उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल प्रतियोगिता में व्यक्तिगत वर्ग और टीम वर्ग दोनों में स्

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आशीष के चाचा सतपाल पंघाल ने बताया कि यह प्रतियोगिता 29 अक्टूबर से एक नवंबर तक डेली कॉलेज, इंदौर में आयोजित हुई। जिसमें देशभर के 150 से अधिक प्रमुख बोर्डिंग स्कूलों के शूटरों ने हिस्सा लिया। फाइनल राउंड में आखिरी शॉट पर तय हुई बाजी के दौरान आशीष ने आखिरी गोली तक संयम बनाकर रखा और निर्णायक क्षण में सटीक निशाना लगाते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया।

शूटर आशीष पंघाल संबोधित करते हुए।

छठी कक्षा से प्रशिक्षण ले रहा आशीष कोच सूबेदार प्रदीप बेनीवाल ने बताया कि आशीष ने छठी कक्षा से प्रशिक्षण लेना शुरू किया था। उनकी निरंतर मेहनत और तकनीकी निपुणता ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। आशीष की दादी एवं सेवानिवृत शिक्षिका धनपति देवी ने बताया कि आशीष खेल के साथ पढ़ाई में भी अव्वल रहता है। 12वीं कक्षा में साइंस का छात्र है।

वह लगातार तीसरे वर्ष मध्य प्रदेश के रैंक वन शूटर रहा है और इस सत्र में अपने स्कूल शूटिंग दल का कप्तान है। कक्षा 9 में ही राष्ट्रीय रैंकिंग के आधार पर डेली कॉलेज, इंदौर के शूटिंग कोच कैप्टन कमल चौहान ने उन्हें स्कॉलरशिप प्रदान की। हाल ही में आयोजित आईएसएसएफ ओपन जूनियर टूर्नामेंट (ऑस्ट्रेलिया) में भी आशीष ने गोल्ड मेडल जीता था।

आशीष की बहन भी जीत चुकी मेडल दो वर्ष पहले इसी स्तर की प्रतियोगिता में आशीष की बहन आशिता चौधरी ने भी शूटिंग में डबल गोल्ड जीता था। वर्तमान में वह ब्रिटेन में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर रही हैं। आशीष के पिता राजनारायण पंघाल एडवोकेट हैं और भिवानी जिला बार एसोसिएशन के आजीवन सदस्य हैं। जबकि माता रीना ग्रेवाल गवर्नमेंट कॉलेज, रोहतक में भौतिकी की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।

आशीष की यह सफलता ग्रामीण युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। उसने यह साबित किया है कि समर्पण, मेहनत और सही मार्गदर्शन से गांव के बच्चे भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का नाम ऊंचा कर सकते हैं।

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