पैरा एथलीट रामपाल ने सामान्य में जीता गोल्ड।
झज्जर जिले के रहने वाले तीन बार के पैरा ओलिंपियन रामपाल ने एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है। पैरा एथलेटिक्स रहे रामपाल ने पहली बार ही सामान्य वर्ग में एशियन मास्टर चैंपियनशिप में भाग लिया और गोल्ड मेडल अपने नाम किया। झज्जर के ओलिंपियन ने हाई ज
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गांव मच्छरौली के बेटे रामपाल, जिन्होंने महज तीन साल की उम्र में अपना दायां हाथ खो दिया था, आज पूरे देश के लिए प्रेरणा बन चुके हैं। किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले रामपाल वर्तमान में हरियाणा खेल विभाग में उपनिदेशक (Deputy Director) के पद पर कार्यरत हैं। 5 नवंबर से चेन्नई में शुरू हुए एशियन गेम्स में 9 नवंबर तक आयोजित हो रहे है।
तीन बार पैरा ओलिंपिक में ले चुके हिस्सा
रामपाल का जीवन संघर्ष और संकल्प की मिसाल है। बचपन में हुए हादसे ने उन्हें तोड़ा नहीं, बल्कि और मजबूत बना दिया। खेलों के प्रति जुनून ने उन्हें देश और दुनिया में पहचान दिलाई। उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए 3 पैरा ओलिंपिक रियो (2016), टोक्यो (2020) और पेरिस (2024) में भाग लिया। इन खेलों में उन्होंने अपने प्रदर्शन से भारत का तिरंगा ऊंचा किया और करोड़ों लोगों को प्रेरित किया।

एशियन मास्टर चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने के बाद मेडल दिखाते झज्जर के रामपाल।
सामान्य में जीतने वाले पहले एथलीट
रामपाल ने इसके अलावा दो बार पैरा एशियन गेम्स में रजत पदक (Silver Medal) जीतकर देश का नाम रोशन किया। लेकिन हाल ही में उन्होंने जो उपलब्धि हासिल की, वह वास्तव में ऐतिहासिक है। उन्होंने 23वीं मास्टर्स एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर एक नया इतिहास रच दिया। खास बात यह है कि यह प्रतियोगिता सामान्य (नॉन-पैरा) एथलीट्स के बीच थी और रामपाल एशियाई स्तर पर ऐसे पहले पैरा एथलीट बने, जिन्होंने सामान्य खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
रामपाल का कहना है कि, मैंने कभी खुद को दूसरों से कम नहीं समझा। खेल ने मुझे आत्मविश्वास दिया, और अब मेरा लक्ष्य है कि मैं आने वाली पीढ़ी के पैरा खिलाड़ियों को भी आगे बढ़ने का रास्ता दिखाऊं। उन्होंने बताया है कि हरियाणा सरकार ने भी उनके इस योगदान की सराहना की है।