सेलिब्रेशन के दौरान आकांक्षा सत्यवंशी वर्ल्ड कप चैंपियन इंडियन विमेंस टीम के साथ मौजूद रही।
टीम इंडिया ने विमेंस क्रिकेट वर्ल्ड कप का खिताब जीत लिया है। इस ऐतिहासिक जीत के पीछे छत्तीसगढ़ की बेटी आकांक्षा सत्यवंशी का भी अहम रोल रहा है। टीम में बतौर मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव और फिजियो एक्सपर्ट आकांक्षा ने वर्ल्ड कप सीरीज के दौरान खिलाड़ियों को पू
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आकांक्षा के संघर्ष की कहानी केवल टीम इंडिया की फिजियो एक्सपर्ट बनने की ही नहीं बल्कि,उस समय से है जब वो दो बार मेडिकल एंट्रेंस में फेल हो गई और उनके डॉक्टर बनने का सपना टूट चुका था । इसके बाद आकांक्षा ने
फिजियोथेरेपी की राह चुनी। मेहनत और जुनून ने आखिर रंग दिखाया और आज आकांक्षा क्रिकेट वर्ल्ड चैंपियन टीम के खिलाड़ियों के फिजिकल कंडीशन का खास ख्याल रख रही हैं।
कैसे छत्तीसगढ़ की आकांक्षा ने नाकामियों को अपनी ताकत बनाकर टीम इंडिया की ऐतिहासिक जीत में अहम भूमिका निभाई। उनकी जज्बे, मेहनत और हौसले की कहानी इस रिपोर्ट में पढ़िए:-

आकांक्षा वर्तमान में विमेंस क्रिकेट टीम की फिजियोथेरेपिस्ट है।
कोर्स में एडमिशन लेने के बाद भी मायूस थी आकांक्षा
आकांक्षा के बड़े भाई अभिनव सत्यवंशी ने बताया कि दो बार एमबीबीएस एंट्रेंस एग्जाम में आकांक्षा का सिलेक्शन नहीं हो पाया था। एडमिशन के लिए आखिरी साल बचा था, ऐसे में उसने रिसर्च करने के बाद फिजियोथैरेपी का कोर्स करने का फैसला लिया।
कोर्स में एडमिशन लेने के बाद भी आकांक्षा कुछ मायूस थी, क्योंकि डॉक्टर बनने का उसका सपना अधूरा रह गया था। उस समय मैंने उसे मोटिवेट करते हुए कहा था कि ‘BCCI में इंडियन टीम के साथ एक फिजियोथैरेपिस्ट भी होता है, और तुझे वहीं तक पहुंचना है।’ आज आकांक्षा ने अपनी मेहनत और लगन से वही सपना पूरा कर दिखाया।
अभिनव ने आगे कहा कि हमने हमेशा खिलाड़ियों की संघर्ष भरी कहानियां सुनी थीं, लेकिन जब अपनी बहन को टीम इंडिया के साथ देखा, तो पूरा परिवार भावुक हो गया। विमेंस वर्ल्ड कप की जीत के बाद हमें विश्वास है कि देश की लाखों लड़कियां अब क्रिकेट और खेलों के लिए प्रेरित होंगी।

वीडियो कॉल पर परिजनों से बात कर करती हुई आकांक्षा।
जीत के बाद 2 घंटे रोते रहे प्लेयर
अकांक्षा की मम्मी अंशु सत्यवंशी ने कहा कि मैं बहुत ही गौरवान्वित महसूस कर रही हूं। मैच के दौरान बेटी हमेशा कहती थी की मम्मी भगवान से प्रार्थना करिए हमें वर्ल्ड कप जीतना है ।
बेटी ने कॉल कर बताया कि हमारा सपना पूरा हुआ और मैच जीतने के बाद रात भर पूरी टीम ने सेलिब्रेशन किया। जीत की इतनी खुशी थी की रात के दो-तीन घंटे तक टीम मेंबर जीत की खुशी में रोते रहे।

परिवार के सदस्यों के साथ बात करती हुई आकांक्षा।
आकांक्षा को पापा ने किया मोटिवेट
अकांक्षा के पापा श्यामलाल सत्यवंशी बेटी की इस उपलब्धि पर बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा कि बेटी ने परिवार और छत्तीसगढ़ का नाम रौशन किया है। अकांक्षा की मम्मी बताती हैं कि वर्ल्ड कप टूर्नामेंट के दौरान भारत की टीम ने लगातार 3 मैच हारे उस दौरान आकांक्षा भी घबरा जाती थी और घर में कहती थी भगवान से प्रार्थना करो ।
उस दौरान उनके पापा हमेशा बेटी को मोटिवेट कर कहते थे कि भारत की टीम वर्ल्ड कप जरुर जीतेगी और हम सभी की प्रार्थना और बेटियों की मेहनत रंग लाई। इस बार इंडिया की बेटियों ने इतिहास रच दिया।

वीडियो कॉल पर परिजनों को मेडल दिखाती हुई आकांक्षा।
वीडियो कॉल कर दिखाया मेडल
देश भर में टीम इंडिया के खिताब जीतने के बाद जश्न का माहौल है, वहीं आकांक्षा के घर में भी सेलिब्रेशन का दौर जारी है। परिवार के लोग लगातार फोन कॉल कर आकांक्षा के माता-पिता को बधाई दे रहे हैं। यही खुशी का क्षण दैनिक भास्कर ने भी कैद किया।
फाइनल मैच जीतने के बाद टीम इंडिया ने जमकर सेलिब्रेशन किया। आकांक्षा ने अपने परिवार से तुरंत बात नहीं की, लेकिन सोमवार की शाम उसने वीडियो कॉल के जरिए पहले अपने परिवार को स्टेडियम दिखाया और फिर अपना मैडल दिखाया। इस दौरान पूरा परिवार खुशी से झूम उठा।
यह पहली बार है कि छत्तीसगढ़ की बेटी ने वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम के सपोर्ट स्टाफ में जगह बनाई है।

बतौर सपोर्टिंग स्टाफ आकांक्षा सत्यवंशी को मिला मेडल।
आकांक्षा, टीम की हीलिंग हैंड और मेंटल स्ट्रेंथ की चैंपियन
मैदान में जब खिलाड़ी विकेट गिराते हैं या चौके-छक्के लगाते हैं, तो तालियां उनके लिए बजती हैं। लेकिन जब कोई खिलाड़ी इंजरी के बाद फिट होकर मैदान में उतरता है, उस पल के पीछे आकांक्षा जैसी फिजियोथैरेपिस्ट का महीनों का परिश्रम छिपा होता है।
टीम मैनेजमेंट के अनुसार, आकांक्षा ने वर्ल्ड कप के दौरान न केवल खिलाड़ियों की फिजिकल कंडीशन पर काम किया, बल्कि उनकी मेंटल हेल्थ पर भी लगातार ध्यान दिया। जब मैच का प्रेशर बढ़ता, तो सबसे पहले वह खिलाड़ियों को संभालती थीं और उन्हें मानसिक रूप से तैयार करती थीं।

साउथ अफ्रीका को हराकार टीम इंडिया ने विमेंस क्रिकेट वर्ल्ड कप का खिताब जीता था।
ऐसा रहा आकांक्षा का सफर
कवर्धा में जन्मी आकांक्षा का परिवार वर्तमान में रायपुर में रहता है। यहीं से उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और फिजियोथैरेपी में बैचलर डिग्री हासिल की। इसके बाद मास्टर्स की पढ़ाई उन्होंने कटक से पूरी की।
2019 में आकांक्षा ने छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट टीम (CSCS) के साथ फिजियोथैरेपिस्ट के रूप में करियर की शुरुआत की। उनके मेहनत और काम की वजह से उन्हें नेशनल क्रिकेट एकेडमी में बुलाया गया, जहां उन्हें सीनियर टीम को हैंडल करने का मौका मिला और उन्होंने असिस्टेंट फिजियो एक्सपर्ट के रूप में काम किया।
इसके बाद आकांक्षा ने इंडिया की मेन टीम के साथ भी काम किया। 2023 में, जब इंडिया ने अंडर-19 विमेंस क्रिकेट वर्ल्ड कप का खिताब जीता, उस दौरान भी आकांक्षा टीम की फिजियो एक्सपर्ट थीं।
बॉलीवुड फिल्म के लिए किया काम
आकांक्षा ने एक्ट्रेस तापसी पन्नू के साथ भी काम किया है। 2022 में तापसी पन्नू की फिल्म ‘शाबाश मिथू’ में आकांक्षा ने ऑफ-स्क्रीन फिजियो एक्सपर्ट के रूप में जिम्मेदारी संभाली। फिल्म के कुछ सीन में तापसी को प्रोफेशनल क्रिकेटर्स जैसी परफॉर्मेंस दिखानी थी, ऐसे में उनके लिए फिजियो गाइडेंस और ट्रेनिंग आकांक्षा ने ही दी थी।

ये तस्वीरें भी देखिए…

अंडर 19 टीम के साथ आकांक्षा की पुरानी तस्वीर।

चैंपियन टीम के प्लेयर के साथ आकांक्षा।

नीरज चोपड़ा के साथ आकांक्षा सत्यवंशी।

पूर्व कप्तान मिताली राज के साथ आकांक्षा की पुरानी तस्वीर।

झूलन गोस्वामी के साथ आकांक्षा।

ट्रॉफी के साथ आकांक्षा।

भारती महिला टीम के साथ मौजूद आकांक्षा (सेंटर में)।

वर्ल्ड कप ट्रॉफी के साथ आकांक्षा।